ख़ुशी की खोज
एक गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह सोचता था कि वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। सम्पूर्ण गाँव उससे व्यथित था। क्योंकि वह हमेशा उदास रहता था और सदैव शिकायत करता था और बुरे मनोस्थिति में रहता था।
"वह बूढ़ा आदमी आज खुश है, वह किसी भी चीज के बारे में शिकायत नहीं करता है, मुस्कुराता है, और यहां तक कि उसका चेहरा भी ताजा हो जाता है।"
पूरा गाँव इकट्ठा हो गया। बूढ़े आदमी से पूछा गया:
"कुछ खास नहीं। अस्सी साल मैं खुशी की खोज कर रहा था, और मैं ख़ुशी ढूंढते ढूंढते थक गया हूँ। मेरी खोज ख़त्म हो गई है। और अब मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया है।
और जबसे मैंने ख़ुशी के पीछे भागना बंद किया है तबसे अपने आप सब कुछ अच्छा लगने लगा है। मेने कभी ध्यान ही नहीं दिया की मेरे आस पास कितनी आनंददायक वस्तुए हैं।
बस तब से जीवन के हर पल में आनंद आ रहा है। और इसलिए मैं अब खुश हूं। क्योंकि अब में किसी के पीछे नहीं भाग रहा बल्कि अपने हर पल को जी रहा हूँ। " - उस बूढ़े व्यक्ति कहा।
कहानी का सार :
खुशी का पीछा मत करो। वर्तमान के हर पल का जीवन में आनंद लो।
लेखक - विनीत कुमार सारस्वत
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