नैतिक कहानी | ख़ुशी की खोज


moral of the story,moral of the story,moral stories,story,moral story,hindi moral stories,hindi story,happiness,pursuit of happiness,what is happiness,happiness paradox,building happiness,the paradox of happiness

ख़ुशी की खोज


एक गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह सोचता था कि वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। सम्पूर्ण गाँव उससे व्यथित था। क्योंकि वह हमेशा उदास रहता था और सदैव शिकायत करता था और बुरे मनोस्थिति में रहता था। 

 उसकी उम्र के साथ साथ व्यवहार और  ख़राब होता जा रहा था, और उतने ही जहरीले उसके शब्द होते जा रहे  थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि लोगो को यह लगने लगा कि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया है। यह भी अस्वाभाविक था और उसके बगल में खुश होना अपमानजनक था। उसने दूसरों में भी निरर्थक दुःख की भावना पैदा कर दी थी।

 लेकिन, जब वह अस्सी वर्ष का हो गया, तो एक अविश्वसनीय घटना हुई। तुरंत हर कोई अफवाह सुनने लगा:

 "वह  बूढ़ा आदमी आज खुश है, वह किसी भी चीज के बारे में शिकायत नहीं करता है, मुस्कुराता है, और यहां तक ​​कि उसका चेहरा भी ताजा हो जाता है।"

 पूरा गाँव इकट्ठा हो गया। बूढ़े आदमी से पूछा गया:

 ग्रामीण: आपको क्या हुआ?

 "कुछ खास नहीं। अस्सी साल मैं खुशी की खोज  कर रहा था, और मैं ख़ुशी ढूंढते ढूंढते थक गया हूँ। मेरी खोज ख़त्म हो गई है। और अब मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया है। 

और जबसे मैंने ख़ुशी के पीछे भागना बंद किया है तबसे अपने  आप सब कुछ अच्छा लगने लगा है। मेने कभी ध्यान ही नहीं दिया की मेरे आस पास कितनी आनंददायक वस्तुए हैं। 

बस तब से जीवन के हर पल में आनंद रहा है। और इसलिए मैं अब खुश हूं। क्योंकि अब में किसी के पीछे नहीं भाग रहा बल्कि अपने हर पल को जी रहा हूँ। " -  उस बूढ़े व्यक्ति कहा। 

 

कहानी का सार :

खुशी का पीछा मत करो। वर्तमान के हर पल का जीवन में आनंद लो।


लेखक - विनीत कुमार सारस्वत 

 

Post a Comment

0 Comments